अब न प्यारे वकत है आराम का ,
आ गया लो मेला मेरे श्याम का,
श्याम ध्वजा जो लहराई प्रेमी सारे झूम उठे,
श्याम तरंग एसी छाई की सब खाटू की और चले,
मौसम है ये चंग और धमाल का,
आ गया लो मेला मेरे श्याम का......
ठंडी पवन चली फागन की रुत आई है,
लगदा है बाबुल के घर से चिठ्ठी आई है,
आता है सपना भी अब तो खाटू धाम का,
आ गया लो मेला मेरे श्याम का.....
मेले पर मेरा संवारा जीभर प्रेम लुटा ता है,
लुट लो जितन जी चाहे ये मौका कब आता है,
चड़ने लगा है राज नशा श्याम नाम का,
आ गया लो मेला मेरे श्याम का.....