बाबा बुलाए खाटू दौड़े चले आए हम -2
अपने कदमों को बिल्कुल रोक नहीं पाए हम ।।
तर्ज: बेटा बुलाये झट दौड़ी चली आये माँ
लेखक: विष्णु कुमार सोनी, कानपुर
कलयुग में मेरे बाबा की खाटू से सरकार चले ।
जो भी आए इसके दर पर उसका बेड़ा पार करें ।।
इनकी चौखट पर आ करके, मनचाहा वर पाये हम ।
बाबा बुलाये...
लखदातार हमारा बाबा, सबकी झोलियां भरता है ।
संकट में जो इसको ध्यावे, उसके संकट हरता है ।।
हारे का जो बने सहारा, उसको सदा मनाये हम,
बाबा बुलाये....
हर ग्यारस पर मिले बुलावा, खाटू वाले धाम से ।
बस इतनी ही करे विनती, 'विष्णु' बाबा श्याम से ।।
बारम्बार शीश के दानी, तेरे दर्शन पाये हम ।
बाबा बुलाये.....