श्री राधा बनीं कोतवाल कन्हैया बड़े चोर निकले

श्री राधा बनीं कोतवाल कन्हैया बड़े चोर निकले
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श्री राधा, बनीं कोतवाल, कन्हैया बड़े, चोर निकले ॥
चोर निकले, बड़े चोर निकले ॥
कन्हैया, बड़े चोर निकले...
श्री राधा, बनीं कोतवाल, कन्हैया बड़े...

हुक्म, हुआ, राधेरानी का, चोर न रहने पाए ।
जो कोई चोरी, करता हो पकड़ा, सभा बीच में आए ॥
गस्त, चहुँ ओर निकले...
श्री राधा, बनीं कोतवाल, कन्हैया बड़े...

घुसे, एक, गुजरी के घर में, ग्वाल सहित गोपाल ।
मिला ना माखन, बैठे-बैठे, बीती सारी रात ॥
हुआ जब, भोर निकले...
श्री राधा, बनीं कोतवाल, कन्हैया बड़े...

पेंदा, फोड़, दिया मटकी का, बही दूध की धार ।
बारी-बारी, लगा के चुल्लू, पिएं बाल गोपाल ॥
मटुकिया, फोड़ निकले...
श्री राधा, बनीं कोतवाल, कन्हैया बड़े...

इतने, गोरस, बेच के गुज़री, लौटी अपने धाम ।
ग्वाल-बाल, छुप गए तुरंत ही, पकड़े गए घनश्याम ॥
चले ना, कछु ज़ोर निकले...
श्री राधा, बनीं कोतवाल, कन्हैया बड़े...

चली, आम, दरबार गुजरिया, ले कान्हा को साथ ।
राह में उसके, ही स्वामी का, पकड़ा करके हाथ ॥
श्याम इक्क, ओर निकले...
श्री राधा, बनीं कोतवाल, कन्हैया बड़े...
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल
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