हे स्वामी हे अन्तर्यामी

स्वामी सब संसार के सांचे श्री भगवान
स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान
सबमें महिमा थांरी देखी कुदरत के करबान

विप्र सुदामा को दाळद खोयो बाले की पहचान
दो मुठ्ठी तांदुल की चाबी दीन्हों द्रव्य महान

भारत में अर्जुन के आगे आप भया रथवान
अर्जुन कुळ का लोग निहार्या छूट गया तीर कमान

ना को मारे ना कोई मरतो तेरो ये अग्यान
चेतन जीव तो अजर अमर है ये गीता का ग्यान

मेरे पर प्रभु किरपा कीजौ बांदी आपणी जान
मीरां के प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल में ध्यान

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