सारी दिनिया बसे हे दाई तोर चरन मा ।
महू ला राख लेते दाई तोरे सरन मा ।
मै हा हवाव तोर आधारी, ऐ वो दुर्गा मोर महतारी ।
महू ला राख लेते दाई तोरे सरन मा ।
सरी दुनिया..........
तोर परसादी माया नगर मा पाये हमनखे के चोला ॥
मोर गति बस तोर भरोशा जानत हावव बस तोला ॥
रखले चरन मा सेउक बनाके,भगत के फुटहा भाग ला जागाके
महू ला राख लेते दाई तोरे सरन मा ।
सरी दुनिया..........
कतको तरगे तोर चरन मा, मोर मूड़ ऊपर घलो रखदे ॥
सेवा करत दिन पहावत जाये,अतका किरपा अउ करदे ॥
जनाव नहीं पूजा बिधियाआनी बानी,
भगत कहा के गौतम करथे नादानी
महू ला राख लेते दाई तोरे सरन मा ।
सरी दुनिया..........