छठ घाट चलो चलें

छठ घाट चलो चलें,
वहां अद्भुत है नजारा,
माता बहने सब आई हैं
घि के दीप जलाई है
सूर्य देव को न्योता देकर,
घाट पर उन्हें बुलाई है,
उख और नारियल गौ के दूध से,
पूजन होगा सारा,
छठ घाट चलो चलें,
वहां अद्भुत है नजारा॥

बास कि बहंगी कंधे ऊपर, कोई लेकर आता है,
कोई छठ मैया की महिमा, गाकर हमें सुनाता है,
सुने कोख को भरने वाली,
दुख कष्टों को हरने वाली,
छठ व्रत करने वालो कि मां,
खुशी से आंचल भरने वाली,
अरघ के लिए सुप मे बहता, है जहां दूध की धारा,
छठ घाट चलो चलें,
वहां अद्भुत है नजारा॥

ठंडे पानी के भीतर, होकर खड़ा गुणगान करें,
फल देती है छठ मैया, जो जो भी इनका ध्यान करें,
चलो चलें सब घाट के ऊपर, मां को शीश झुकाएंगे,
स्वर्ग का दृश्य जमी पर होगा, दर्शन करके आएंगे,
तन को वहां सुकून मिले, मन का मीटे अंधियारा,
छठ घाट चलो चलें,
वहां अद्भुत है नजारा॥

पुत्र के  सुख से वंचित जो भी, माँ के व्रत को करता है,
तन मन धन और धैर्य से जो, माँ का उपास ना धरता है,
दुःख और दर्द मिटा देती हे भय को दूर भगा देती है,
किस्मत ज्योत जलाने वाली किस्मत को चमका देती है,
फल और फूल से घाट सजा है लगता बड़ा ही प्यारा,
छठ घाट चलो चलें,
वहां अद्भुत है नजारा॥
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