सांवलिया सरकार तुम्हारी, लीला न्यारी है,
भूल न जाना बहुत पुरानी, तुम से यारी है ।। टेर ।।
नया-नया दास तू तो, बणावै सदा,
सितम गुजारे तेरी, बांकी अदा ।
जाहिर तीनों लोकां में, तेरी दातारी है ।।१।।
तुम्हें छोड़कर श्याम, जाऊँ कहाँ,
लगी अपने दिल की, बुझाऊँ कहाँ,
बन्दा तो मुद्दत से ये, नौकर सरकारी है ।।२।।
मिलाया है दिल तो ये, तोड़ना नहीं,
आदत दया की श्याम, छोड़ना नहीं,
इन आख्यां न सांवरिया, तू ही सिणगारी है ।। ३ ।।
श्याम बहादुर मेरे, जीव की लड़ी,
कुण सी घड़ी मं शिव, आंख्यां लड़ी,
मेरे जिगर को टुकड़ो तो तूं, श्याम बिहारी है ।।४।।