तर्ज - मनिहारी का भेष बनाया
दादी गौरी की महिमा है भारी
दर पर आते हैं लाखों नर नारी
ग्राम बांड्या में दादी का दरबार है
सारी दुनियां में दादी का परिवार है
दादी गौरी की महके फुलवारी
दादी गौरी की महिमा है भारी
भाग्यशाली हैं दादी के बच्चें सभी
दादी गौरी न छोड़े साथ कभी
जो बुलाता उसी के पधारी
दादी गौरी की महिमा है भारी
महिमा है दादी की बड़ी ही महान
प्रेम भाव से करते जो गुणगान
दादी लगती है प्राणों से प्यारी
दादी गौरी की महिमा है भारी
दादी गौरी के गावे मनदीप भजन
दादी गौरी के चरणों में करता नमन
जय जय बोले गोपाल तिहारी
दादी गौरी की महिमा है भारी
हेमन्त गोयल गोपाल