बरसाने में जिसकी बड़ी ऊंची अटारी है,
वही भानु सुता राधे, सरकार हमारी है ।।
सर्वोपरी श्री राधे, परमेश्वरी श्री राधे ।
रासेश्वरी श्री राधे, हरि प्राणन प्यारी है ॥
जग पालनहारी है, ब्रज की रखवारी है।
वही करुणामयी राधे, सब की हितकारी है ॥
कण कण में रमी राधा, हर लेती हर बाधा ।
कहे दीन मधुप स्वामिन, भवतारणहारी है ।।
लेखक : श्रीकेवल कृष्ण मधुप (मधुप हरि महाराज)