बंसी ओ बंसी इतना बता तूने कौन सा पुण्य किया है,
खुश होकर कान्हा ने तुझको होठों पर थाम लिया है,
बंसी बोलो ना ओ मुरली बोलो ना......
हरे बांस की तू बांसुरिया जात है तेरी नीची,
गांठ गठीली तेरी काया कैसे तू है जीती,
कान्हा की कृपा होने से मुझे इतना मान मिला है,
इसीलिए दुनिया ने मुझको अपना मान लिया है,
बंसी बोलो ना ओ मुरली बोलो ना......
कोई तुझको क्यों अपनाए सब से छल किया है,
बिरहा की धुन गाकर तुमने सबको दर्द दिया है,
तेरी धून को सुनकर देखो राधा को चैन मिला है,
इसीलिए कान्हा ने मुझको अपना मान लिया है,
बंसी बोलो ना ओ मुरली बोलो ना......
जैसे बंसी को अपनाया मुझको भी अपना ले,
मुझको अपना भगत समझकर चरणों में बिठा दे,
दास कहे तेरा भेद यह कान्हा कभी समझ ना पाया,
जो भी तेरे दर पर आया सब को ही अपनाया,
बंसी बोलो ना ओ मुरली बोलो ना......