श्याम से नेहा लगाए, राधे नीर बहाए । जाके गुण बाँसुरिया गाती, वो हारी लिख लिख कर पाती । जा के बिन है श्याम अधुरो, वो बिरहन कहलाये ॥ पीली पड़ गई केसर काया, रूप ने अपना रूप गवाया । दीपक छेड़ रहें हैं आंसू, ठंडी आग लगाए ॥