मैं तेरी प्रेम दीवानी, मैं तेरी बन गई जोगन
यहां सब लोग कहते हैं, श्याम के प्रेम की रोगन
मेरे हालत कैसे है तू मेरा देख पागलपन
छोड़के सारी ही दुनिया, शरण तेरी पड़ी मोहन
दरस तेरे को तरसे है,
दरस तेरे को तरसे और तड़पे, ये तेरी विरहन। ||मैं तेरी||
तेरे ही नाम की माला में सिमरूं हर घड़ी हर पल
कृपा की छाँव कर मुझ पर, यही बिनती करूँ हर दम
चले ये सांस तब तक हो
चले ये सांसें तब तक हो, तेरे ही नाम का सुमिरन। ||मैं तेरी||
दीवाने बन गए तेरे, तो फिर दुनिया से क्या लेना
पड़ी हुई श्याम चरणों में मुझे दासी बना लेना
रहे हृदय में बस प्यारे,
रहे राधारमण दिव्या के हृदय में तेरा चिंतन। ||मैं तेरी||