राधा राधा राधा राधा
तर्ज : रात श्याम मेरे सपने आयो ब्रज भूमि में पांव धरत ही, तन मन बोले-राधा राधा राधा राधा ।।
गोवर्धन गिरि, ब्रजरज, यमुना,
कण कण बोले-राधा राधा०
पशु पक्षी तरू फूल लताएं,
कुंज कुंज बोले-राधा राधा०
छाछ दूध दहीं माखन मटकी,
बंसी बोले-राधा राधा०
निगमागम सुर सन्त भगत मुनि,
जन गण बोले- राधा राधा०
मधुर मधुर रस चाख '
मधुप हरि' रसना बोले - राधा राधा०