तर्ज - तेरे संग यारा खुश रंग बहारा....
ओ बाबोसा तुम्हारा , मेरे सपनों में आना
ये रात की कहानी , है सबको को सुनना
सपनो में जो आया है मुझे दर्श दिखाया है
नेनो के रास्ते जो ,मेरे दिल मे समाया है
वो सुंदर नजारा , है जब से निहारा
वो साथ तुम्हारा , लागे बडा प्यारा
जन्मों का रिश्ता , है तुम्हारा हमारा
कल रात की सुनो बात है
मेरी बाबोसा से हुई मुलाकात है
मेरे सपनों में बाबोसा भगवान थे
जब खड़े थे वो मेरे पास में
में खो गया था अहसास में
मेरे खवाब में पूरे होने लगे अरमान थे
फिर बैठ सिरहाने पर , गोदी में सुलाया है
कोमल से हाथों को , मेरे सिर पे फिराया है
वो सुंदर नजारा , है जब से निहारा
वो रात सुहानी , वो बाबोसा प्यारा
वो साथ तुम्हारा , लगता बडा प्यारा
जन्मों का रिश्ता , है तुम्हारा हमारा
जिस पल के लिये बेचेंन था
जिसका मुझे इंतजार था
वो आज मिला है मुझको मेरे ख्वाव में
मेरे दर्श के प्यासे ये नैन थे
उन्हें मिलने को वो बेचन थे
में छवि निहार के गिर गया उनके पाँव में
मेरे दिल मे "दिलबर" , तुम रहना उम्रभर
सुनीता के संग भक्तो , बोलो सब मिलकर
वो सुंदर नजारा ,है जब से निहारा
वो रात सुहानी , वो बाबोसा प्यारा
वो साथ तुम्हारा , लगता बडा प्यारा
जन्मों का रिश्ता , है तुम्हारा हमारा
✍️ रचनाकार ✍️
दिलीप सिंह सिसोदिया
❤️ दिलबर ❤️
नागदा जक्शन म.प्र .