कहां छिपे हो हे भगवान, उतर धरा पर देखो आन ।
तेरी इस सुन्दर सृष्टि में तड़प रहा तेरा इन्सान ।।
मंगल हो चहुँदिशि मंगल हो सुनलो दुखियों की पुकार प्रभु
हरो संकट करो रक्षा सबकी मेटो इस महामारी को प्रभु ।।
जागो योगनिद्रा से देखो कैसा कन्दन है धरती पे,
हर तरफ है हाहाकार मचा, पार्थिव शरीरों के ढेर लगे,
कृपा की दृष्टि फिराकर के मेटो त्रय ताप का त्रास प्रभु....
मानव कैसा लाचार हुआ, अपनों से अपना दूर हुआ,
बस डरा-डरा, सहमा सहमा देख मौत का ताण्डव बिलख रहा,
इस महामारी के दानव का पल में कर दो संहार प्रभु....
खोलो मंदिर के द्वार हरि करो क्षमा हमारे पाप हरि,
सतसंग बढ़ें, सब रोग मिटे घर-घर में गूंजे अविनाशी,
अब शरण तिहारी आये हैं, सुख-शांति का दो वरदान प्रभु....