तेरी मेरी खूब बनेगी खूब निभेगी श्याम ,
सेवक तुमको चाहिए मालिक मुझको श्याम,
गंगाजल से तेरे चरण पखारूगां,
जिस जैसे चंदन तिलक लगाउगां,
रंग-बिरंगे बागे पहनाऊंगा तुझे श्याम,
तेरी मेरी खूब बनेगी खूब निभेगी श्याम........
फरमाओगे जो भी वही मैं करूंगा ,
करूंगा मैं सेवा तेरी हाजरी भरुगां,
रुचि रुचि भोग बनाके खिलाऊंगा तुझे श्याम,
तेरी मेरी खूब बनेगी खूब निभेगी श्याम..........
चरण दबाऊंगा मैं चवर डुलाऊंगा,
चरण दबाऊंगा मैं चवर डुलाऊंगा
होगी मैहर तेरी भजन सुनाऊंगा
झूम झुम के टीकम रिजाऊंगा तुझे श्याम
तेरी मेरी खूब बनेगी खूब निभेगी श्याम..........
गायक जयकुमार दीवाना मुंबई
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