या देहि तुझा संग

या देही तुझा संग,   कैसा जोडू मी ते सांग विठ्ठला
दिस रात तुही आस, परि संसाराचा पाश ,
कैसा तोडू मी ते सांग विठ्ठला

बीज स्वप्नांचे अंकुर , पोसले ते जीवापाड
स्वप्न होईल साकार , त्याचे फोफावले झाड
कैसे पाडू  मी ते सांग विठ्ठला

माय बापाची हो माया, अन प्रीतिचा भडीमार
सगे सोयर्यांची साथ , जाहले उपकार
कैसे फेडू मी ते सांग विठ्ठला

मुखी नाम निरंतर, तुझे रूप अंतरात ,
परि तुझ्या प्रपंचात , गुंतले माझे हात
कैसे जोडू मी ते सांग विठ्ठला

     गायक  :  रवींद्र साठे
गीत-संगीत :  अरुण  सराफ
     अल्बम :   हृदयी रहा रे दयाघना

............................हिंदी अनुवाद : ...........................

इस देह में होते हुए तेरा संग में कैसे धरु ? तू ही बता विट्ठल !
दिन रात मुझे तेरी आस है ,
पर इस संसार का पाश मैं कैसे तोडू ? तू ही बता विट्ठल !

मैंने सपनों के बीज बोया, उसके अंकुर को जी-जान से पाला
अब सपना साकार होते दिख रहा है ,
उस अंकुर का अब फैला हुआ वृक्ष हुआ है
उसे मैं कैसे तोडू ? तू ही बता विट्ठल  !

माता पिता ममता, मेरे परिवार का असीम प्रेम
और मेरे अपनों ने जो साथ दिया है ,
उसका बड़ा उपकार है
इन सब ॠणोंसे मैं कैसे मुक्त होंऊ ? तू ही बता विट्ठल !

मेरे होठों पे तेरा नाम निरंतर है, तेरा रूप मेरे अंतर में है
पर तूने ही दिए हुए काम में मेरा हाथ व्यस्त है,
तो इन हाथोंको ,मैं  कैसे जोडू? तू ही बता विट्ठल !

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