इस श्याने कर्म का क्या कहना ॥
दर पे जो सवाली आते है,
इस श्याने कर्म का क्या कहना ॥
एक तेरी गरीबी का सदका,
वो झोलियाँ भर के जाते है,
भर गई भर रे झोली भर गई ॥
उनके कर्म से..॥
भर गई भर रे झोली भर गई ॥
जो मांगने से पहले भिखारी को भीख दे ॥
वेशक मेरी नजर में वो दाता तुम ही हो,
भर गई भर रे झोली भर गई ॥
उनके कर्म से..॥
भर गई भर रे झोली भर गई..
तेरी आशिकी से पहले मुझे कौन जानता था,
मुझे आपने नवाजा ते कर्म नही तो क्या है,
भर गई भर रे झोली भर गई ॥
उनके कर्म से..॥
उस दर सोगावत क्या कहिये,
खाली ना जाता कोई,
मोहताज यहाँ जो आते है,
वो झोलियाँ भर के जाते है,
इस दर सगावत क्या कहिये,
खाली ना जाता मंगता कोई,
मोहताज यहाँ जो आते है,
वो झोलियाँ भर के जाते है,
पक्के रिश्ते तेरी रहमत से जो बन जाते है,
कच्चे धागे से बने लोग चले आते है,
तू मिलादे चाहे भिचड़े हुए इंसानों को,
तेरे अनवाद कर्म शयद ये दिखलाते है,
खाली ना राह मंगता कोई,
मोहताज यहाँ जो आते है....
तू स्की ऐसा सकी है,
आप सा कोई नही है,
जो मांगने से पहले भिखारी को भीख दे,
वेशक मेरी नजर में वो दाता तुम ही हो,
इस श्याने कर्म का क्या कहना