बिन साईं शिर्डी क्या होता
एसी रोनक एसी महफ़िल क्या फिर ऐसा जलसा होता
बिन साईं शिर्डी क्या होता
कौन याहा शिर्डी में आता अकार के याहा शीश झुकाता,
साईं का दरबार याहा है इस लिए शिर्डी सब को भाता
बाबा का दरबार याहा है इस लिए शिर्डी सब को भाता
ना होते ये फिर क्या होता
बिन साईं शिर्डी क्या होता
क्या शिर्डी का मान ये होता क्या इज्जत समान ये होता
क्या शिर्डी की पुजती घर बाबा का धाम न होता
ना होते ये फिर क्या होता
बिन साईं शिर्डी क्या होता
पावन हो गए शिर्डी इनसे
जग में होगी गिनती इनसे
वरना पेहले कौन था वाकिफ
जो है शिर्डी साईं चरण से
ना होते ये फिर क्या होता
बिन साईं शिर्डी क्या होता
ना होते ये फिर क्या होता
बिन साईं शिर्डी क्या होता