दुःख दूर तेरे होंगे आजा साई के दर आजा,
किरपा की नजर होगी दया की नजर होगी,
जो चाहे वही पा जा
बन जाती जहा बिगड़ी तकदीर के मारो की,
होती सुनवाई यहाँ बेबस लाचारों की,
झुकते है यहाँ आ कार हो रंक भले राजा,
दुःख दूर तेरे होंगे आजा साई के दर आजा,
जब आये मुसीबत तो साई को याद करो,
दरबार में बाबा के दिल से फर्याद करो,
बन जाएगा वो तेरे बस उसका तू बंजा,
दुःख दूर तेरे होंगे आजा साई के दर आजा,
एक बार जो शिरडी गया वो माला माल हुआ,
चौकठ पे सिर रखा ये सरल निहाल हुआ,
लाख फिर यु बोला अब और कही न जा,
दुःख दूर तेरे होंगे आजा साई के दर आजा,