मैं तो करू यात्रा निस दिन चारो धाम की,
क्योंकी मेरे गले में पड़ी है माला साई नाम की,
साईं का मैं पुजारी जाने ये दुनिया सारी,
उपकार मेरा उन पर उनका मैं हु अबहारी,
मेरे मन में वसी हिया छवि साईं राम की,
मैं तो करू यात्रा निस दिन...
करता जो उनकी भक्ति हर दुःख से मिलती मुक्ति,
साईं है मेरे स्वामी अद्भुत है उनकी शक्ति,
साईं साईं की रट है जी बड़े काम की,
मैं तो करू यात्रा निस दिन...
साईं को जब पुकारा उस पल मिला सहारा,
पल भर में भाव से मुझको लक्खा मिला सहारा,
साईं मूरत में है सुरत घनश्याम की,
मैं तो करू यात्रा निस दिन