एह सइयां तेरे कदमों की धूल बन के रहू
हो जाऊ तुझमे मैं शामिल
के तू ही मेरी है मंजिल सुबह शाम तुझमे रहू
एह सइयां तेरे कदमों की धूल बन के रहू
किस्मत की जो रेखा है बोलो किस ने देखा है,
केहते है तकदीर इसे तेरी कलम का लेखा है,
तेरे बारे में क्या कहू एह साइयां तेरे कदमो की धुल बन के रहू
इक तरफ है ये दुनिया एक तरफ है नाम तेरा
स्वर्ग भी थोडा फीका होगा शिर्डी है जो धाम तेरा
है तेरा क्या जादू
एह सइयां तेरे कदमों की धूल बन के रहू
मिलती है पंडित से सीख देदे रहमत की तू भीख
हु सलामत तुझ से ही वर्ना कौन सुनेगा ये मेरी चीख
हर छेह में तू ही तू
एह सइयां तेरे कदमों की धूल बन के रहू