हे दुःख भन्जन मारुती नंदन सुन लो मेरी पुकार

हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन, सुन लो मेरी पुकार |
पवनसुत विनती बारम्बार ||

अष्ट सिद्धि नव निद्दी के दाता, दुखिओं के तुम भाग्यविदाता |
सियाराम के काज सवारे, मेरा करो उधार ||

अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी, तुम पर रीझे अवधबिहारी |
भक्ति भाव से ध्याऊं  तुम्हे, कर दुखों से पार ||

जपूं निरंतर नाम तिहरा, अब नहीं छोडूं तेरा द्वारा |
राम भक्त मोहे शरण मे लीजे भाव सागर से तार ||
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