रूस गया श्याम मेरा किवे मनावा में
दुखड़े मैं दिल दे सईयो किसनू सुनावा में
लभ्दी फिरा मैं सईयो कृष्ण कन्हैया नु,
कोई मिलाये मेरे बंसी बजैयाँ नु ,
इक उसदी खातिर सबदे तरले पावा में
दुखड़े......
देके दिलासा भैने दिल नु मैं समझावदी
उसदे प्रेम आगे मेरी पेश ना जावादी
गिन गिन तारे राता रो रो गुजारा मैं
दुखड़े......
सारा जग छड़या सी तेरी इक आस ते
सब नु बनाया दुश्मन तेरे विश्वास ने
तू ही मुख मोड़ बैठा केहड़े दर जावा में
दुखड़े.......