ठुकराओ या स्वीकार करो मैं शरण में हु,
दुत्कारो या आके प्यार करो मैं शरण में हु,
एहसान फरामोश गुनेगार हु बड़ा,
मारो या भव से पार करो मैं शरण में हु,
ठुकराओ या स्वीकार करो...
सुनते है डूबते को तेरा नाम तार ता,
कश्ती मेरी भी पार करो मैं शरण में हु,
ठुकराओ या स्वीकार करो..
फट सा गया है दामन दर दर पसार के,
सी दो या तार तार करो मैं शरण में हु,
ठुकराओ या स्वीकार करो.....
लायक नहीं है सूरज फिर भी कह रहा,
एक बार एतबार करो मैं शरण में हु,
ठुकराओ या स्वीकार करो......