मेरे साई का कर्म जो पत्थर पे है लकीर,
शिरडी में जो भी आये बने बिगड़ी तकदीर,
साई बोले जो सब का इरादा नेक है,
सबका साई वो दाता मेरा एक है,
तेरे दीवाने मस्ताने मस्त फ़कीर,
शिरडी में जो भी आये बने बिगड़ी तकदीर,
मैंने यामा जो पेहना साई के नाम का,
मैं तो भूखा हु साई के दीदार का,
साई शिरडी में आया बन के उस का वजीर,
शिरडी में जो भी आये बने बिगड़ी तकदीर,
पल में अरमान तू सब के पुरे करे,
दिलो जान से जो साई की खिदमत करे,
शाहो से भी बड़ा जो है दर का फ़कीर,
शिरडी में जो भी आये बने बिगड़ी तकदीर,
लव पे बनके कवाली दुआ दिल से आई है,
वासी शानू तेरे दीवाने से गाये है,
वो जी अर्ज करे मिटा दुःख की लकीर,
शिरडी में जो भी आये बने बिगड़ी तकदीर,