जग है पराया ये मैं जानू तुम को अपना मानु,
प्रेम से बढ़ कर कुछ नहीं जानू,
प्रेम को ईश्वर मानु,
खाना पीना जाग न सोना,
खोकर पाना,पा कर खोना,
करम है निष् दिन का जग के बंधन का,
जग है पराया ये मैं जानू.......
नश्वर तन है प्राण अमर है,
सतये है ईश्वर सबको खबर है,
काल से डर क्यों रहे आये गा वो बिन कहे,
क्या रे पता कब रे,
जग है पराया ये मैं जानू.......
आये कहा से ये नहीं जाना,
अंत में सबको है वही जाना,
माटी में माटी मिले जोट में जोट मिले,
बूंद जो सागर में,
जग है पराया ये मैं जानू......