जबसे शरण आया मैं सरकार,
मुझको भा गया ये दरबार,
देख तेरी चितवन को काबू रहा न मैं सरकार,
खुद की नहीं खबर क्यों मुझे आज छल लिया,
छलिये तेरी नजर ने मुझे आज छल लिया,
दिल तेरे पर खो गया है छलिये तुम्हारा हो गया,
मुझको दीवाना कहने लगे तू ही बता दे क्या हो गया है,
कैसा तेरा हुनर क्यों मुझे आज छल लिया,
छलिये तेरी नजर ने मुझे आज छल लिया,
छल से तुम्हारे था मैं अनजान जाल में फस गया ये अनजान,
देख के सूंदर झांकी को हर्ष हो गया मैं हैरान,
वश में नहीं जिगर क्यों मुझे आज छल लिया,
छलिये तेरी नजर ने मुझे आज छल लिया,