पावन चरण तुम्हारे ओ मन मोहन चितचोर,
हमको भी पावन करदे ओ प्यारे नंद किशोर।।
सारे जगत का तू रखवाला,
मुरली मनोहर ओ नंदलाला,
तब तो तेरी पूजा होती है,चारो ओर,
हमको भी पवन करदे ओ प्यारे नंद किशोर।।
राजा हो या दीन भिखारी,
मिलती है सबको किरपा तुम्हारी,
एक भाव से देखे तू सबको नवल किशोर,
हमको भी पावन करदे ओ प्यारे नंद किशोर।।
दोष हमारे कान्हा चित न धरना,
मैं पतझड़ हूँ सावन करना,
राजेंद्र पे वर्षा दे तू किरपा माखन चोर,
हमको भी पावन करदे ओ प्यारे नंद किशोर।।