नैया फ़सी है मझधार कान्हा आजा तू बनके केबनहार,
दुनिया के सागर में खा ले हिचकोले जीवन नैया को बचा ले,
लगते थपेड़े गम के डूब ना जाए नैया तेरे ही हवाले,
थाम ले मेरी ही पतवार कान्हा आजा तू बनके केबनहार,
नैया फ़सी है मझधार ..
अपनों के बन्धन में बंधा हुआ धागा टुटा एक ही पल में,
स्वार्थ के रिश्ते नाते कारण बने ऐसे के छला गया छल में,
निष्ठुर बड़ा है संसार कान्हा आ जा बनके केवनहार,
नैया फ़सी है मझधार ....
दुःख में पुकारू आजा दुःख में भुलाया नहीं कभी तुझे सांवरे,
तेरा ही सहारा मुझे रास्ता निहारत मेरे नैन हुए वनवारे,
चोखानी करता मनुहार,आ जा बनके केवनहार,
नैया फ़सी है मझधार ....