मैं सब कुछ हार के बाबा तेरी चौकठ पे आई हु,
संभालो अब मुझे बाबा मैं सब कुछ छोड़ आई हु,
मैं सब कुछ हार के बाबा......
मेरी मझधार है नैया श्याम दरकार है तेरी,
मेरी हाथो से छूटी अब श्याम हाथो में है तेरी,
इसे तू पास करदो पार ये अर्जी दर पे लाइ हु,
मैं सब कुछ हार के बाबा....
सुना है हार के जग से तेरे दर जो भी आता है,
लगाते हो गल्ले उसको यहाँ में जीत जाता है,
मेरी भी सुनले सांवरियां उमीदे लेकर आई हु,
मैं सब कुछ हार के बाबा.....
तेरे चरणों में सांवरिया पड़ी कब तक रुलाओ गए,
लगा लो अब शरण मुझको मुझे कब तक सताओ गए,
सुनो रही की फर्यादे तेरी चौकठ पे आई हु,
मैं सब कुछ हार के बाबा