निगाहें मिलाकर गर बदले ज़माना

निगाहें मिलाकर गर बदले ज़माना,
ज़माने की कोई भी परवाह नहीं होती,
अगर श्याम संग तुमने मेरा जो छोड़ा,
कसम है तेरी ये न सांसे रहे गी,

मुझे अपनी बगियाँ  का फूल समज न,
मैं जो भी हु जैसा भी हु भूल समझना,
पड़ा रहने दे मुझको चरणों में अपने,
मेरी और परेशानी न होगी,
मेरी भक्ति पूजा की तुलना न करना,
बिछा दूंगा तन मन यही न समझना,
मैं पहले ही कर्मो से अपने दुखी हु,
मैं रु दूंगा तकलीफ तुझको भी होगी,

दया का है सागर तू भाव पहचाने,
जो तेरा है उसको तू आप संभाले,
मैं दफलत  में जीता रहा श्याम मेरे,
जिन्हे समजा अपना सब निकले वो लोभी,
ना अब कोई ईशा न कोई तमना,
राहु तेरी छाया और चरणों में पलना ,
मैं तेरा हु तेरा हु तेरा रहुगा,
किसी भी गवा की जरूत न होगी,
निगाहें मिलाकर गर बदले ज़माना,
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