मोर मुकट की देख छटा,
मेरा मन हो गया लटा पटा,
मोर मुकट की देख छटा..
मैं जल भरने गई यमुना पे फोड़ दिया पानी का घडा,
मेरा मन हो गया लटा पटा....
हाथ पकड मेरी बहिया मरोड़ी,
विखर गया मेरा केश लटा,
मेरा मन हो गया लटा पटा....
मैं ददी वेचन जाऊ वृधावन मार्ग रोकत नही हटा,
मेरा मन हो गया लटा पटा,
बहिया पकड़ मेरी मटकी फोड़ी,
बिखर गया मेरा दही मठा,
मेरा मन हो गया लटा पटा,
गुनगराले है बाल श्याम के,
मानो जैसे इंद्र घटा,
मेरा मन हो गया लटा पटा,
मिलते है उसे बांके बिहारी,
राधे राधे जिसने रटा
मेरा मन हो गया लटा पटा,