श्याम बाबा का दर मिल गया एक बेघर को घर मिल गया,
एक भटके से रही को यु आसरा उम्र भर मिल गया,
जिस ने श्रद्धा से माँगा यहाँ उसको मोह माँगा वर मिल गया,
बेघरों को भी जैसे नया आशियाना चाँद पर मिल गया,
श्याम बाबा का दर मिल गया.....
किसको देखु तुझे देख कर जब तू जाने नजर मिल गया,
श्याम जी की नजर हो गाई बेहुनर को हुनर मिल गया,
श्याम बाबा का दर मिल गया....
मिल ही जाएगी मंजिल हमे तू ही जब हमसफ़र मिल गया,
हो गया तेरा साजिद निहाल तेरे दर से ये सिर मिल गया,
श्याम बाबा का दर मिल गया...