जो तू ना मेहरबां होता तो जीवन ना खिला होता,
अगर तू देख कर देता तो मुझको ना मिला होता....
नहीं विश्वास होता है के मुझ पर है कृपा तेरी,
मेरी झोली को भर डाला ना देखि कुछ खता मेरी,
यूँ ही बर्बाद रह जाता जो ना ये सिलसिला होता,
अगर तू देख कर देता तो मुझको ना मिला होता.....
सुना था मैंने दुनिया से तू बिन बोले समझ जाए,
छुपा सकता हूँ लोगों से तुझे सब हाल दिख जाए,
नहीं आता निकट तेरे जो ना ये फासला होता,
अगर तू देख कर देता तो मुझको ना मिला होता....
तेरे इस प्रेम के आगे नहीं नज़रें उठा पाऊं,
मिला जो तेरे ‘पंकज’ को कभी वो सोच ना पाऊं,
बहुत पहले ही कह देता अगर जो होंसला होता,
अगर तू देख कर देता तो मुझको ना मिला होता.....