सजधज के बैठा बाबा मंद मंद मुस्काये,
इत्र सुगंध भरपूर बाबा सबके मन है भाये...
खाटू वाले श्याम बाबा तुम्हे मानावे मेरे बाबा,
पूरण करना काम बाबा मेरा रखना मान बाबा,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए....
श्याम तेरा श्रृंगार निराला,
गाल पुष्पों की पहने माला,
सिर सोने का मुकुट बिराजे,
उस पर मोर पंखुड़ियां साजे,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए....
घिस घिस चन्दन तोहे लगावे,
लड्डू पैदा भोग लगावे,
खीचड़ भी है शोक से खावे,
नित्य भाव जो भोग लगावे,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए....
एकादशी को भीड़ भारी,
दर पे पहुंचे नर और नारी,
भावों को भजनो में सुनाये,
श्याम धणी तेरी महिमा गायें,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए.....
बारस की है धोक है लगती,
जगमग तेरी ज्योत है जगती,
इत्र सुगंध उड़े भरपूर,
चरणों से ना करना दूर,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए.....
अमावस्या को शीश दर्शन,
मन हो जाता है ये प्रसन्न,
दीन दुखी दुखिया हैं आते,
मोर छड़ी का झाड़ा लगाते,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए......
रींगस से निशाँ लेके,
तोरण द्वार पे माथा टेके,
पेट पलनीया आते हैं लेटे,
सब के दुःख को आप हैं मेटे,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए.....
फागुन का जब मेला आया,
तेरा मंदिर मिलके सजाया,
देस्ग विदेश से फूल हैं आया,
जब तेरा श्रृंगार कराया,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए.....
बाबा जन्मदिन तेरा आया,
मावे का प्रसाद बनाया,
फिर तुमको है भोग लगाया,
फिर भक्तों ने मिलकर खाया,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए....
श्याम कुंड स्नान जो करते,
उसके रोगों को बाबा हरते,
बाबा को नित फूल जो चढ़ते,
श्याम बगीची में वो उगते,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए.....
सूरज गढ़ निशान चढ़ाया,
शिखर ध्वजा पे ये लहराया,
मंदिर पे जो ताला लगा था,
मोरछड़ी से ताला खुला था,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए.....
बदल बदल नित बागा पहने,
रत्नो के ये पहने गहने,
लीले की असवारी हो,
महिमा थारी भारी हो,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए......
आलू सिंह महाराज हमारे,
श्याम बहादुर श्याम निहारे,
परिजन इनके चंवर डुलाये,
शाम सवेरे मंगल गायें,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए...... '
प्रेमी संग फागण ये खेले,
लखदातार के लगते मेले,
जय श्री श्याम का लगे है नारा,
खाटू गूँज रहा है सारा,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए.....
सामने राधे कृष्ण विराजे,
देहली पे हनुमान विराजे,
तरह सीढ़ी चढ़ के देखा,
हारे का सहारा देखा,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए......
पांडव कुल में जनम लियो,
बर्बरीक फिर नाम दियो,
माधव ने है दान लियो,
शीश का दानी नाम कियो,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए.....
हारे का सहारा श्याम हमारा,
पूरण करना काम हमारा,
मोनू तुमको आन पुकारा,
महिमा गाये ये जग सारा,
श्याम महिमा गाये भव सागर तर जाए......