मत करना अभिमान तू बंदे जीवन रेन बसेरा है,
इक न इक दिन इस दुनिया से जाना तू अकेला है,
मत करना अभिमान तू .......
लाख चौरासी योन भोग कर मानव का तन पाया है,
कौन उजड़े उस बगियाँ को जिस पर प्रभु की छाया है
इसकी मर्जी बिना न सूरज करता रोज सवेरा है,
मत करना अभिमान तू ......
बालक पन में मात पिता ने तुमसे लाड लड़ाया है,
करुणा भया नारी संग रह कर वो सब प्यार भुलाया है,
दिल न दुखाना कभी किसी का ना कुछ जग में तेरा है,
मत करना अभिमान तू ....
बीती जाये तेरी उमरिया बनता क्यों अज्ञानी है,
मद और लोभ और मोह के कारण करता तू मन मानी है,
देख भूडपा अब क्यों रोया,
जब संकट ने गेरा है,
मत करना अभिमान तू
इस जीवन का सार यही है करने प्रभु की भक्ति है,
दान पुण्य अच्छे करमो से मिलती सच्ची मुक्ति है,
दास नरेश श्यामा श्यामा बिन तेरा नहीं नवीरा है,
मत करना अभिमान तू .....