मैं क्या था मैं क्या से क्या हो गया,
ये तेरी किरपा का असर हो गया,
देखती थी नजर जब ये चारो तरफ,
कोई अपना ना था प्यार था बे असर,
खो गई थी मेरे होठो से जब हसी,
तूने ही सँवारे दी मुझे ज़िंदगी,
मेरी हर बात पर मुस्कराया यहाँ,
कोई मंजिल नहीं थी फिर मैं जाता कहा
फिर तेरे नाम का जब सहारा मिला,
जो न किस्मत में था वो भी सारा मिला,
झूठी दुनिया से मैं बेखबर हो गया,
ये तेरी किरपा का असर हो गया,
वक़्त बेकार था मैं तो लाचार था,
झूठी दुनिया का मतलब का वेहवार था,
जब मैं मुश्किल में था सब खड़े दूर थे,
मैंने रिश्ते बनाये वो कमजोर थे,
मुझ को अपनों पे थी आस हर मोड़ पर,
टूट सा मैं गया सब गए छोड़ कर,
हर कदम पर ज़माने से धोखा मिला,
होंसला मुझको तेरी किरपा से मिला,
टेरेस चरणों में जीवन बसर हो गया,
ये तेरी किरपा का असर हो गया,
नाम खाटू का जब श्याम मैंने सुना,
तुमसे मिलने को दिल ये तड़पने लगा,
सेठो का सेठ है खाटू में संवारा,
तेरे दीदार को मैं मचलने लगा,
श्याम प्रेमी के संग मैं खाटू में आ गया,
देख रौनक यहाँ मैं तो चक्र गया,
तुमसे नजरे मिली लब मेरे थम गये,
चूमि चौकठ तेरी सारे गम खो गये,
सोनी खाटू में आना सफल हो गया,
ये तेरी किरपा का असर हो गया,