शुकर करू मेरे बाबा तेरा हर पल शुकर करू,
तेरे होते किसी बात की मैं क्यों फ़िक्र करू
शुकर करू मेरे बाबा तेरा हर पल शुकर करू
भटक रहा था जब जीवन में तूने थामा हाथ मेरा,
अंधयारी राहो में बाबा मुझको मिल गया साथ तेरा,
तेरे उपकारों का मैं पल पल जीकर करू,
तेरे होते किसी बात की मैं क्यों फ़िक्र करू
शुकर करू मेरे बाबा तेरा हर पल शुकर करू
सोच नहीं सकता था बाबा मुझको वो उपहार मिला,
अपनी किस्मत पर इतराउ मुझे तेरा दरबार मिला ,
बन के मैं दरबारी हर हाल में सबर करू,
तेरे होते किसी बात की मैं क्यों फ़िक्र करू
शुकर करू मेरे बाबा तेरा हर पल शुकर करू
इतनी तो औकात नहीं मैं तुमको कुछ दे पाउ,
तेरे नाम के भाव मैं गा कर तुझको रोज रिजाऊ,
भाव भजन के मोती मैं तुझको नजर करू
तेरे होते किसी बात की मैं क्यों फ़िक्र करू
शुकर करू मेरे बाबा तेरा हर पल शुकर करू
और नहीं कुछ चाहु तेरी किरपा यही बनी रहे,
तेरे प्रेम की दौलत से ये संजय हर दम धनी रहे,
तेरी सेवा में ही ये जीवन वसर करू,
तेरे होते किसी बात की मैं क्यों फ़िक्र करू
शुकर करू मेरे बाबा तेरा हर पल शुकर करू