हमारा घर भी खाटू में बना देते तो क्या होता,
शरण में हम को ऐ कान्हा जगह देते तो क्या होता,
हमारा घर भी खाटू में बना देते तो क्या होता,
पडोसी तेरे हो जाते ये किस्मत ही बदल जाती,
बिना कोई सहारे के हमारी नाव चल जाती,
जो माझी बन के नैया चला देते तो क्या होता,
हमारा घर भी खाटू में बना देते तो क्या होता,
नहीं समजे हमे अपना तुम्हारी क्या थी मज़बूरी,
क्या अपनों से भला कोई कभी कोई रखता है दुरी,
यही पे होली दिवाली मना लेते तो क्या होता,
हमारा घर भी खाटू में बना देते तो क्या होता,
तुम्हारा क्या बिगड़ जाता तेरी सेवा ही करते हम,
नहीं समजे हमे लायक पवन को यही है गम,
के इसका भी हमे कान्हा बना देते तो क्या होता,
हमारा घर भी खाटू में बना देते तो क्या होता,