तेरी सेवा की बस एह कन्हियाँ

तेरी सेवा की बस एह कन्हियाँ,
तुमसे इतनी सी कीमत मैं चाहू,
जब भी लू जनम इस जहाँ में दास बन कर तुम्हारा ही आऊ,
तेरी सेवा की बस एह कन्हियाँ...

ना ही चाहत सितारों की मुझको ना ही मांगू चमक चांदनी की,
मैं अंधेरो में रह लूँगा मोहन,
मुझको दरकार न रोशनी की,
शर्त इतनी सी है बस कन्हियाँ मेरी नजरो में तुमको बसाऊ,
जब भी लू जनम इस जहाँ में दास बन कर तुम्हारा ही आऊ,
तेरी सेवा की बस एह कन्हियाँ...

मुझको रुतबे का लालच नही है ना किसी पद की मुझको तमना,
क्या करू गा नगर सेठ बनकर मुझको सेवक तुम्हारा है बन न,
तेरे दर के सिवा सिर झुके न सिर्फ इतनी सी इज्जत मैं चाहू,
जब भी लू जनम इस जहाँ में दास बन कर तुम्हारा ही आऊ,
तेरी सेवा की बस एह कन्हियाँ...

मेरे नैनो में जबतक है ज्योति मुझको मिलता रहे तेरा दर्शन,
आना जाने रहे तेरे दर पे मैं तो करता रहू तेरा कीर्तन,
मेरे सांसो की धरा है जब तक गीत मैं तेरे ही गुण गणाऊ,
जब भी लू जनम इस जहाँ में दास बन कर तुम्हारा ही आऊ,
तेरी सेवा की बस एह कन्हियाँ...

सोनू का मन भी चंचल है प्यारे,
देखना ये कही खो ना जाये,
मुदतो से तेरा चड़ा है देख बद रंग कही न हो जाये,
तेरा हो कर ही अब तक जिया हु तेरा हो कर ही दुनिया से जाऊ.
जब भी लू जनम इस जहाँ में दास बन कर तुम्हारा ही आऊ,
तेरी सेवा की बस एह कन्हियाँ...
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