नफरत ना कर इंसान,
यहां तूं दो दिन का मेहमान,
छोडकर जाना होगा,
फिर नहीं आना होगा..
यश का तेरे गान भी होगा,
सत्कर्मों का बखान भी होगा,
कीरत रह जाएगी तेरी,
सीरत मिट जाएगी,
ना कर व्यर्थ गुमान,
छोड कर..
जब तक प्राण हैं तन में तेरे,
जग में सब अपना है,
छोड चले जब प्राण देंह को,
झूठा सब सपना है,
ना कर तूं अभिमान,
छोड कर..
जग का मालिक वही विधाता,
सबका पालनहारा है,
उसके सिवा इस दुनियां में,
कोई नहीं तुम्हारा है,
तूं समझ ले ऐ इंसान,
छोड कर..