सत्संगत में रोज ही जाना रहना अपनी धुन में,
साधु भाई गांजा पियो गुरु संग में,
चित चेतन की चिलम बनाले ले धोवो गंगाजल में,
ज्ञान की साफी खूब निचोड़ो पानी रहे ना उनमे,
साधु भाई.......
जर्दा तंबाकू खूब मिलाओ केसर चंदन उनमें,
चेतन होकर अग्नि चलाओ जल जाए जोत गगन में,
साधु भाई............
गांजा पी वन से ज्ञान बढ़ता है सुरता लगे भजन में,
ज्ञानी होकर गंजो न पीवे बड़ी भूल है मन में,
साधु भाई...........
नाथ गुलाब मिला गुरु पूरा ध्यान दियो सुमिरन में,
भानी नाथ शरण सतगुरु की भजन बनाएं पुष्कर में,
साधु भाई............