आयो रसिया मोर बन आयो रसिया,
बरसाने की मोर कुटी पे मोर बन आयो रसिया॥
एक दिन बोली राधा प्यारी,
दो दिन से नाए मिले मुरारी,
बिना श्याम सुन्दर दर्शन के प्यासी अखियाँ,
मोरा बन गये मदन मुरारी,
ऐसो नृत्य कियो गिरधारी,
या छवि ऊपर मोहित है गयी बृज की सखियाँ,
कान्हा नाचे छम छम छननन,
पायल बज रही झुन झुन झुनन,
अशोक शर्मा संग ग्वालों के नाचे सखियाँ,
स्वर - अशोक कृष्ण ठाकुर जी