प्रभु तेरे चरणों का वंदन,
करें नित आनंद मगन होकर,
ऐसी कृपा प्रभु बरसाना,
तेरा करते रहें सुमिरन,
माया मोह की गठरी प्रभु जी,
तुमने ऐसी बांधी है,
निकल ना पाऐं हम बंधन से,
ऐसी डोर उलझा दी है,
पल छिन मैं रटूं तेरा नाम,
बस इतनी दया करना,
प्रभु तेरे.....
पालनहारे सारे जग के,
तुम दीनदयाल हो नाथ मेरे,
मैं अज्ञानी कुछ ना जानूं,
कहीं भटक ना जाऊं जीवन में,
हे करूणासिंधू हे जगदीश्वर,
बस कृपा दृष्टी रखना,
प्रभु तेरे.......