बजे ढोल शहनाइयां हूँ सब न वदाइयां,
आगे भगत प्यारे देखो सज धज के,
लगाया है मेला दर शेरा वाली दा,
सारे पौंदे ने धमाल देखो नच नच के
चल दियां ठंढियां हववा मन मोहनियां चल दे भंडारे भेटा चल दियां सोहनियाँ,
आके बोल दे जय कारे सारे ग़ज वाज के,
लगाया है मेला दर नैनादेवी दा...
खोल के खजाने दाती बैठी दरबार जी,
लूट लो नजारे माँ दे भरे ने भण्डार जी,
भरो झोलियाँ नजारे लूटो रज रज के,
चिंतपूर्णी दे दर लगाया है मेला सारे पौंदे ने धमाल देखो नच नच के ...
धर्म कोटि जद भूल्या तू चला आया है,
खुशियां च माये तू रज के रजाया है,
आवे दर्श न सनी हर साल भज के,
लगाया है मेला दर शेरा वाली दा .....