आज सखी मधुवन नाचियो मोर,
सावन की गणगौर घटाए,
हरयाली चाहु और,
आज सखी मधुवन नाचियो मोर,
सिर पर कलगी पंख रंगीले,
नैन रसीले होठ रसीले,
ताल भजावे नाचे गावे,
खूब मचावे शोर,
आज सखी मधुवन नाचियो मोर,
अगर कोई पकड़े हाथ ना आवे,
कुञ्ज निकुंजों में छिप जावे,
देख मोर की लीला सखियाँ,
हो गई भाव भिवोर,
आज सखी मधुवन नाचियो मोर,
देख मोर ता नाचे किशोरी,
नाच उठी राधा रस भोरी,
मिले पर्श पर चाँद चकोरी,
मिल गई नैनं पोर,
आज सखी मधुवन नाचियो मोर,
मोर लियो बाहो में राधा,
बंसी धर धरा रूप अगाधा,
राधा दर्श कर मिट गई तड़पन,
मधुहारी चित चोर,
आज सखी मधुवन नाचियो मोर,