बाबा खोल दे अपनों गल्लो तेरो भक्त मचावे हल्लो ,
तेरे दर पे मैं खड़ा हां झोली खोल के,
चाहे फटकारो या डाँटो हे माहने मत न नाटो,
मैं तो मांग रहा सु बाबा टोल मोल के,
बाबा खोल दे अपनों गल्लो
छोटो मोटो सेठ नहीं तू सेठ है पगड़ी वालो,
हर दम झोली भर के जावे दर पे आने वालो,
सुनते मैं आया बाबा तेरे किस्से,
देख अकेले मैं ना आयो संग में पुरो महलो,
बाबा खोल दे अपनों गल्लो .....
या तू सेठ मत कहलाया सेठाई दिखला दे,
या फिर कोई बड़ा सेठ का नाम तू माहने बता दे,
नाम कमाइयो तू तो फ़ोकट में,
जो देवे गो माहने आके थामु उ को पल्लो,
बाबा खोल दे अपनों गल्लो .....
रह जायेगी यही धरी बाबा तेरी रंग बाजी,
जीत ता आया भक्त तेरा हर दम तेरे से बाजी,
कुछ भी चाहे बाबा तू कर ले,
कहे पवन के काम पड़ो है अपनों पेहलो पेहलो,
.बाबा खोल दे अपनों गल्लो