चढ़ते सूरज को दुनिया में सब करते है आह परनाम,
डूबने वाले को जो थामे वो है खाटू वाला श्याम,
सुख के साथी मिलते जग में दुःख में नजर नहीं आते है,
सदा बनो हारे के सहारे श्याम यही समजाते है,
जो भी जैसा कर्म है करता वैसा मिलता है परनाम,
डूबने वाले को जो थामे वो है खाटू वाला श्याम,
जो भी उचे आसान बैठे पेर ज़मीन पे रखते है,
उड़ते बदल नीलगगन से वरखा बन कर गिरते है,
अपने सिर को निचे रखते तर वर पर फलते आप,
डूबने वाले को जो थामे वो है खाटू वाला श्याम,
नित नियम से अपने समय पर सूरज भी तो ढलता है,
यु यु होता अंधराय तारा गगन में चमकता है,
श्याम किरपा सदा बनी रहे गोपाल मांगे ये वरदान,
डूबने वाले को जो थामे वो है खाटू वाला श्याम,