किरपा बरसाती शेरो वाली

नवरातो में छोड़ के पर्वत माँ धरती पर आती,
आकर अपने बेटे को माँ अपने गले लगा ती,
किरपा बरसाती शेरो वाली करती मेहर मेहरो वाली,

लाल चुनरियाँ ओड के मियां कर के शेर सवारी,
भक्तो से मिलने आती है अष्ट भुजा धरी,
देवी दया की लाटा वाली भर्ती है झोलियाँ खाली,
किरपा बरसाती शेरो वाली करती मेहर मेहरो वाली,

नव दिन नव रूप में सबको दर्श दिखती,
किसको क्या देना है मियां सोच के दिल में आती,
ऐसी है माँ दिल वाली भर्ती है झोलियाँ खाली,
किरपा बरसाती शेरो वाली करती मेहर मेहरो वाली,

बड़े ही पवन कुंदन माँ के होते है नवराते,
घर घर माँ की जोत है जलती होते है जगराते,
ममता प्यार खुशहाली देती है माँ जोता वाली,
किरपा बरसाती शेरो वाली करती मेहर मेहरो वाली,
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